Thursday 19 November 2020

मी चकोर अन् तू चंद्रमा

स्पर्शिता आरक्त कुसुमा 
गंधल्या सार्‍या सीमा
कांती पसरे पौर्णिमा 
मी चकोर अन् तू चंद्रमा


झुळूकतो मोहरुन वारा 
पदर उडता भर्र्भरा 
स्पर्श निर्जल पत्थरा
अन् झुळझुळे खळखळ झरा
अधर-दली स्मित बिखरे
मी पतंगा तू शमा
कांती पसरे पौर्णिमा 
मी चकोर अन् तू चंद्रमा


जडावला श्वास असा
होऊनिया धुंद धुंद
झुकलेल्या पापण्यांतुन  
दीप तेवत मंद मंद 
घे पतंगा झेप आता
बाळगू नको तमा
कांती पसरे पौर्णिमा 
मी चकोर अन् तू चंद्रमा


*शैलेन्द्र*
नोव्हेंबर १९, २०२०

का जाग आली

का जाग आली .... 
ह्रदयावरी तू हळुवार करताच ... 
ठक् ठक् ... ठक् ठक्
की जाग आली .... 
ह्रदयामधूनी तू हलकेच केलीस ... 
धक् धक् ... धक् धक्


कधी तू तुषार
कधी तू दवबिंदू 
धबाबा धबाबा
कधी कोसळशी तू
कधी सागराची
गंभीर गाज
कधी निर्झराचा
खळखळता साज
अन् पाऊस बनूनी ... 
भिजवून गात्रे ... 
चिंबुन चिंबुन ... 
चिकचिक  चिकचिक


तू ओला मृद्-गंध
कुसुमी सुगंध 
मनाचा मनाशी 
रेशीमबंध
कळीचा बहर
फुलाचा डवर
उमलून येतो
मनाचा मोहर
अन् स्वप्नामधुनी ... 
हलकेच येशी .... 
चांदण चालीने ... 
लुकलुक लुकलुक



नोव्हेंबर १७, २०२०
ह्रदयावरी तू हळुवार करताच ... 

Tuesday 17 November 2020

अरमान

तेरे दरस का प्यासा मैं तो रह गया
यही अरमान लेके मैं तो चल दिया

गिरनार तेरे द्वार 
न आ पाऊंगा इस बार
तेरी मिट्टी चूमने से मैं तो रह गया
तेरे दरस का प्यासा मैं तो रह गया

हिमालय तुने पुकारा
पर मैंने ही नकारा 
सुना फिर भी अनसुना ही मैं तो रह गया
तेरे दरस का प्यासा मैं तो रह गया

कर्दळी के बन की भाषा
सिखने की थी अभिलाषा 
न किया प्रयास, गुंगा मैं तो रह गया
तेरे दरस का प्यासा मैं तो रह गया

दक्षिणेश्वरी है काली
मेरी मैंया मतवाली
तेरी गोद मे आनेसे मैं तो रह गया
तेरे दरस का प्यासा मैं तो रह गया


नोव्हेंबर १७, २०२०

Friday 19 June 2020

कितनी बार



कितनी बार
कितनी बार ... देखा तुझे
छुप छुप के ...
पलकों के साये से ...
तुझे देखने उठी नजर
तू देखे कही और
मै तेरी ओर ...
नजर छुपा के
तेरी नजर से ...
डूब जाऊ गहराईयों में
आंखो के जरीये
तह ए झील तक
और करु बसेरा
मेरे दिल का
तेरे दिल में

कितनी बार
कितनी बार ... चाहा तुझे
पूंछू तेरी खबर ...
कुछ सुनाऊ मेरी ...
बात करने उठी नजर
तू देखे इधर
मैं कही और ...
नजर चुरा के
तेरी नजर से ...
कही उतर न जाये तू
आंखो के जरीये
मेरे दिल तक
और देखे तु तूझे
मेरे दिल के
आईने में

*शैलेन्द्र*
१८ जून, २०२०

बरसात

जानता हू मै ... मेरे बुलाने पर
तूही तो आयी है ... बरसात बनकर

गाल को चूमके गयी .. पहिली ही बूंद
... तेरे आने का संकेत देकर
फिर आयी मिट्टी की खुशबू ...
तेरे मदहोश साथ का एहसास लेकर

बूंद बूंदसे ... धीमे धीमेसे...मेरा सारा शरीर छूकर ..
तूही तो आयी है... बरसात बनकर


बूंदोकी लडी और लडियोंकी बौछार
धीरेसे बना तुफान ... तेरा बरसना
हर अंग को छेडकर ... सरसराते हुवे
तेरा आवेश मे आकर मुझमें समा जाना

नस नस को भीगोकर ...आवेग से लिपटकर ...
तूही तो आयी है ... बरसात बनकर


भिगते भिगते ... तेरे घने आलिंगनमे
फैलाये जो हाथ ... कसकर तुझको लिपटाने
मैने मुझे ही पाया ... मेरेही आगोश में
देखके ये बचपना तू हस दी ... बूंदोके टपटपाने में

अचानकसी चली गयी .. मीठे पलों का बीज बोकर
तूही तो आयी थी ... बरसात बनकर

जानता हू मै ... मेरे बुलाने पर
तूही तो आयी थी ... बरसात बनकर


परदा



होठों के कमलदल पे .... फैला है गुलाबी नशा
भंवरा पंखुडीयों की .... शराबी हंसी मे फसा

कांधे पे है जुल्फे ....
कुछ बिखरी सी....  कुछ उलझी सी
जुल्फो में अटकी जिंदगी ....
कुछ बिखरी सी....  कुछ उलझी सी

खुदाई का रास्ता ..... तेरी आंखो से होकार है जाता
आंखे न छिपाओ .... मेरे दर्द ए दिल का वास्ता

इक बार हटा के परदा .... आंखे तो मिला देना
इस भटके मुसाफिर का .... यही तो है ठिकाना

*शैलेन्द्र*
१७ जून, २०२०

Monday 29 July 2019

ऐ मेरे यारा


ऐ मेरे यारा  sssss
तेरे दर पे खडे...  है शिकारी
बन के भिकारी
तुने भेद न इनका क्यूं जाना
या फिर
जाना और बना अंजना

आफताब की मेहेर
बरसे सब पे है बराबर
कौनु जलाये रोटी
कौनु जलाये घर
कौनु जलाये रोटी
कौनु जलाये घर
आफताब है मगर
इन सबसे बेखबर

तू तो खुदा है यारा ssssss
रखता सबकी है खबर
उनको दे दिया है दिया क्यूं
जिन्होने जलाये घर
सब कुछ है माना ssss ...
सब कुछ है माना तुझे
ये भी तुने जाना sssss
फिर भी .... भेद न इनका क्यूं जाना
या फिर
जाना और बना अंजना
ऐ मेरे यारा  sssss

अंधेर नही देर है
कहता हर पीर है
देर की लुघात में
बता क्या तारीफ है
प्यासे का पानी छीने
बरसायी तुने रहमत
उकुबत के बदले कैसे
थमा दी हुकुमत

तू तो खुदा है यारा ssssss
रखता सबकी है खबर
उनको दे दिया है दिया क्यूं
जिन्होने जलाये घर
सब कुछ है माना ssss
सब कुछ है माना तुझे
ये भी तुने जाना sssss
फिर भी .... भेद न इनका क्यूं जाना
या फिर
जाना और बना अंजना
ऐ मेरे यारा  sssss


Thursday 30 May 2019

फरियाद




ऐ खुदा तेरे बंदे की ले ले खबर
इस से पहले के वो बन जाये ना कबर

कैसे कर लू मै तुझ पे भरोसा खुदा
कल हुवा तू फिदा अब हुवा तू जुदा


कभी मेरी गली आके मेरी जिंदगी सवाँर
कभी काले बादलो पे आना होके तू सवांर
बरसना इतना के झोला रहे बेकरार
बरस ना झोला फटे मेरा होके बरकरार

गले लगा लिया कभी कोसा बेशुमार
कटी जिंदगानी दिन अब रह गये चार

ऐ खुदा तेरे बंदे की ले ले खबर
इस से पहले के वो बन जाये ना कबर

कैसे कर लू मै तुझ पे भरोसा खुदा
कल हुवा तू फिदा अब हुवा तू जुदा


कभी फूल सा खिला कभी तू खफा खफा
कभी दिल में बसा कभी हो बेवफा
कभी जिंदा ख़ुशी कभी सब कुछ सफा
कभी बरसे वफा तू कभी है जफा

कभी लगता गले कभी कहे अलविदा
मंजूर मुझे तेरी हर अदा अदा

कैसे कर लू मै तुझ पे भरोसा खुदा
कल हुवा तू फिदा अब हुवा तू जुदा

ऐ खुदा तेरे बंदे की ले ले खबर
इस से पहले के वो बन जाये ना कबर


मे ११, २०१९

गोपाल


रूठ के बैठा कोने में वो फुला के दोनो गाल
यशोदा का लाल बाई ... बाल गोपाल
यशोदा का लाल बाई ... नील गोपाल
यशोदा का लाल बाई ... नंद गोपाल

मैया तू झूठी झूठी
बाते करे मिठी मिठी
दुंगी माखन का गोला
ऐसा क्यूं मुझसे बोला
नही गया मैं राधा के नाल
यशोदा का लाल बाई ... बाल गोपाल
यशोदा का लाल बाई ... नील गोपाल
यशोदा का लाल बाई ... नंद गोपाल

बल्लु दाऊ को ना रोके
मुझको क्यूं हरदम टोके
दानवोंको खौफ है मोसे
मै नही डरता हू किसीसे
संदेह न रखना मेरे नाल
यशोदा का लाल बाई ... बाल गोपाल
यशोदा का लाल बाई ... नील गोपाल
यशोदा का लाल बाई ... नंद गोपाल

मे २६, २०१९

Thursday 21 March 2019

रंग


अंगास स्पर्शता रंग ....
मन मनी भिजले
रंगात रंगले रंग ....
मन मनी रुजले

हरखुनी ....
आनंद-वनी ...
रंग-काननी

घुलविले चित्ती ....
फुलविली वृत्ती

मिसळला ....
लाल अन पिवळा ....
काळा अन निळा

रंगास रंगाचा दंश ..
रंगाचा अंश ..
रंगी विरघळला

संपला तयांचा "मी" पणा .....
करु न ये वेगळा

रंगाच्या संग ....
होऊन दंग ....
शोषिले अंग ....
राहिले रंग ...  राहिले रंग

अंगास स्पर्शता रंग ....
मन मनी भिजले
रंगात रंगले रंग ....
मन मनी रुजले